वरिष्ठ साहित्यकार आभा सिंह के उपन्यास मन की धूप का लोकार्पण

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जयपुर, फरबरी, 2021.



स्पंदन महिला साहित्यिक एवं शैक्षणिक संस्थान के तत्वावधान में वरिष्ठ साहित्यकार आभा सिंह के उपन्यास 'मन की धूप' का लोकार्पण ऑनलाइन कार्यक्रम में किया गया। लोकार्पण कार्यक्रम में प्रोफेसर पवन सुराणा, साहित्यकार नंद भारद्वाज, स्पन्दन अध्यक्ष नीलिमा टिक्कू , डॉ जयश्री शर्मा, प्रो प्रबोध कुमार गोविल और राजेन्द्र मोहन शर्मा आदि प्रमुख लोग थे । उपन्यास देश के विभाजन की त्रासदी में एक विस्थापित परिवार के दर्द और संयुक्त परिवार में महिला की सशक्त भूमिका पर आधारित है।

 

आभा सिंह ने सन 1978 से लेखन प्रारंभ किया। वे कहानी, कविता, लघुकथा, यात्रा संस्मरण तथा उपन्यास विधा में लेखन करती हैं। सन् 1980 से निरंतर प्रकाशित हो रही है। उनकी प्रकाशित पुस्तकों में कहानी संग्रह- कोने का आकाश, अब तो सुलग गए गुलमोहर, परछाइयों के अक्स, टुकड़ा टुकड़ा इंद्रधनुष, कविता संग्रह में- अस्तित्व का हठ तथा भोरगंध है। लघुकथा में- माटी कहे तथा यात्रा संस्मरण में- स्वप्न दिशा की ओर , उपन्यास- मन की धूप शामिल है।उनके 3 ई-कथा संग्रह- हथेलियों के क्षितिज, परछाइयां तथा वह लड़की प्रकाशित हैं। उनकी कई कहानियों व कविताओं का अंग्रेजी अनुवाद जर्मन लेखिका श्रीमती युट्टा ऑस्टिन ने किया है।

 

आभा सिंह की रचनाओं में भाषा का काव्यमय रूप दृष्टिगत होता है, उन्हें अपने सृजन के लिए कई सम्मान व पुरस्कार प्राप्त हुए हैं। 1980 में लघु कथा -अभिशप्ता-  इंदौर के साहित्य संगम से पुरस्कृत हुई। 2014 में कहानी -अपने पराए, बदरंग कैनवास, 2017 में कहानी- अंधेरी आंखों के उजाले, 2018 में कहानी -बिजूका पुरस्कृत हुई। 2009 में सतत रचना के रचनाकार सम्मान, दिल्ली,  2015 में अखिल भारतीय साहित्यकार सम्मान, अलवर, 2016 में शब्दनिष्ठा सम्मान, अजमेर में प्राप्त हुए।